अपनी बेटी की भूख मिटाने के लिए सड़कों पर पेन बेचने को मजबूर हुआ ये पिता लेकिन एक तस्वीर ने बदल दी ज़िंदगी!
Patrika 13 Apr 2017 16:11
सीरिया की खबरें कई अख़बारों की हैडलाइन बन रही हैं। ख़बरों में मौतों के जो आंकड़े बताए जा रहे हैं उन पर विश्वास करना ऐसा लग रहा है जैसे ईकाई-दहाई के जोड़ को ठीक से पढ़ नहीं पा रहे हों। साल 2015 और 2016 में जो आंकड़े सामने आये उनके अनुसार सीरिया के क़रीब 5 लाख ज्यादा बच्चे जंग-ए-मैदान जैसे हालातों में अपना बचपन गुज़ारने को मजबूर हैं। एक तरफ आतंकी संगठन IS और दूसरी तरफ गृहयुद्ध, अब ये जाएं तो कहाँ जाएं?
टीवी स्क्रीन्स पर गोला, बारूद, आग, धूल के गुबार हक़ीकत के कम और हॉलीवुड फ़िल्मों के दृश्यों के ज़्यादा क़रीब लग रहे हैं। वैसे अब तो ख़ून से सने बच्चों की इतनी तस्वीरें सामने आ चुकी हैं कि दुनिया ने भी संवेदनाएं दिखाना छोड़ दिया है। फिर भी हमारा यह फ़र्ज़ बनता है कि हम इन तस्वीरों को आपके सामने रखें।

हम आपको आज जिस तस्वीर से रूबरू करा रहे हैं वो तस्वीर एक पिता की है। जो सीरिया के हालातों से तंग आकर अपनी बेटी को लेकर एक शरणार्थी के तौर पर लेबनान पहुंचा और वहां की सड़कों पर अपनी बच्ची पेट पालने के लिए पैन बेचने लगा लेकिन उससे जो कमा पाता था वो उसकी बेटी का पेट भरने के भी नाकाफी थे।

इस पिता और बच्ची की तस्वीर देख भले ही दुनिया की आंखे डबडबा गईं हों, पर सियासत जिनका मज़हब हो उनके लिए मासूमों के दर्द क्या और दास्तां क्या? दुनिया से कट चुके सीरिया के इस हिस्से से बयह तस्वीर पल-पल का दर्द बयां कर रही है जिसपर दुनिया भर की नज़र जा रही है, लेकिन जिसकी जानी चाहिए वही बेख़बर है।

इस तस्वीर में जो शख्स दिखाई दे रहा है उसका नाम है अब्दुल, जो अपनी बीमार बेटी के इलाज़ और खाने के लिए रोज सुबह सड़कों पर निकल पड़ता है. बच्ची की मां की मौत एक हमले में पहले ही हो चुकी है और यह बच्ची भी कुछ खाने में समर्थ नहीं है. वजह वही है, सीरिया के युद्ध जैसे हालात!

एक दिन यूँही जब अब्दुल अपनी बेटी को गोद में उठाए पैन बेच रहा था तब किसी अनजान ने उसकी तस्वीर खींच सोशल मीडिआ पर अपलोड कर दी. जैसे ही यह तस्वीर सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंची, लोगों की संवेदनाएं जाग गईं और लोग इस शख्स और उसकी बेटी की मदद के लिए हाथ बढ़ाने लगे।

लोगों की मदद के कारण ही अब्दुल को लगभग 2 लाख डॉलर की मदद मिली। अब्दुल ने इस मदद से मिले पैसों को व्यर्थ नहीं जाने दिया। उन्होंने इन रुपयों से लेबनान में ही एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोला और बाकी बचे पैसों से सीरिया से आये अन्य शरणार्थियों की मदद की।
टीवी स्क्रीन्स पर गोला, बारूद, आग, धूल के गुबार हक़ीकत के कम और हॉलीवुड फ़िल्मों के दृश्यों के ज़्यादा क़रीब लग रहे हैं। वैसे अब तो ख़ून से सने बच्चों की इतनी तस्वीरें सामने आ चुकी हैं कि दुनिया ने भी संवेदनाएं दिखाना छोड़ दिया है। फिर भी हमारा यह फ़र्ज़ बनता है कि हम इन तस्वीरों को आपके सामने रखें।

हम आपको आज जिस तस्वीर से रूबरू करा रहे हैं वो तस्वीर एक पिता की है। जो सीरिया के हालातों से तंग आकर अपनी बेटी को लेकर एक शरणार्थी के तौर पर लेबनान पहुंचा और वहां की सड़कों पर अपनी बच्ची पेट पालने के लिए पैन बेचने लगा लेकिन उससे जो कमा पाता था वो उसकी बेटी का पेट भरने के भी नाकाफी थे।

इस पिता और बच्ची की तस्वीर देख भले ही दुनिया की आंखे डबडबा गईं हों, पर सियासत जिनका मज़हब हो उनके लिए मासूमों के दर्द क्या और दास्तां क्या? दुनिया से कट चुके सीरिया के इस हिस्से से बयह तस्वीर पल-पल का दर्द बयां कर रही है जिसपर दुनिया भर की नज़र जा रही है, लेकिन जिसकी जानी चाहिए वही बेख़बर है।

इस तस्वीर में जो शख्स दिखाई दे रहा है उसका नाम है अब्दुल, जो अपनी बीमार बेटी के इलाज़ और खाने के लिए रोज सुबह सड़कों पर निकल पड़ता है. बच्ची की मां की मौत एक हमले में पहले ही हो चुकी है और यह बच्ची भी कुछ खाने में समर्थ नहीं है. वजह वही है, सीरिया के युद्ध जैसे हालात!

एक दिन यूँही जब अब्दुल अपनी बेटी को गोद में उठाए पैन बेच रहा था तब किसी अनजान ने उसकी तस्वीर खींच सोशल मीडिआ पर अपलोड कर दी. जैसे ही यह तस्वीर सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंची, लोगों की संवेदनाएं जाग गईं और लोग इस शख्स और उसकी बेटी की मदद के लिए हाथ बढ़ाने लगे।

लोगों की मदद के कारण ही अब्दुल को लगभग 2 लाख डॉलर की मदद मिली। अब्दुल ने इस मदद से मिले पैसों को व्यर्थ नहीं जाने दिया। उन्होंने इन रुपयों से लेबनान में ही एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोला और बाकी बचे पैसों से सीरिया से आये अन्य शरणार्थियों की मदद की।
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