ये कहानी है डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर से 50 किमी दूर गंधावल की रहने वाली रेवाबाई की है। 2010 में जब उन्हें बैंक से लोन नहीं मिला तो खुद का बैंक खोला और कई महिलाओं को जोड़ा। सात साल बाद अब इसकी 450 गांवों में शाखा हैं। 3 करोड़ से ज्यादा का कर्ज बांटा गया है वो भी बिना गारंटर के। खास बात कर्ज लेने वालों में से एक भी डिफाल्टर नहीं है।रेवाबाई खुद अनपढ़ हैं, लेकिन आज सैकड़ों महिलाओं के लिए जीती-जागती मिसाल हैं। उनके खोले बैंक से जुड़ीं महिलाओं की सबकी जरूरतें अब पूरी होने लगीं। बैंक को 'आजीविका मिशन' के तहत रजिस्टर्ड कराया गया था, जिसे नाम मिला- 'समृद्धि बैंक'। रेवाबाई का सम्मान नाबार्ड और सीएम शिवराज सिंह चौहान पहले ही कर चुके हैं। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली में उनका सम्मान करेंगे। नई दिल्ली के प्रगति मैदान पर 14 अप्रैल को 'आजीविका फेयर' प्रोग्राम में रेवाबाई को सम्मान मिलेगा। रेवाबाई अब भी लगातार समृद्धि बैंक के कामकाज को विस्तार देने और ज्यादा-से-ज्यादा महिलाओं को इससे जोड़ने में लगी हैं।जिले में पास के गांव की एक और महिला बैंक सखी निरमा सोलंकी को भी सम्मानित किया जाएगा। निरमा ने बैंकों से महिलाओं को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। वे बीए पास हैं। इलाके में इतनी पढ़ी-लिखी महिला नहीं है इसलिए निरमा को नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक ने इलाके के लिए अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है। अब वे महिलाओं को कैश ट्रांजेक्शन करना सीखा रही हैं।